नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय निवेशक और जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के पॉडकस्ट शो ‘पीपल बाई डब्ल्यूटीएफ (People By WTF)’ में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। दो घंटे के लम्बे एपिसोड में पीएम मोदी ने गुजरात ते मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल, भारत की तकनीकी प्रगति, सोशल मीडिया, राजनीति समेत कई विषयों पर बात की।
वीडियो में पीएम मोदी और निखिल कामथ कई मुद्दों पर बात करते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो में निखिल कामथ कहते हैं कि मैं यहां आपके सामने बैठा हूं और बात कर रहा हूं, मुझे घबराहट हो रही है। मेरे लिए ये मुश्किल है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी मुस्कुराते हुए जवाब देते हैं कि ये मेरा भी पहला पॉडकास्ट है, मुझे नहीं पता कि यह आपके दर्शकों को कैसा लगेगा।

इस दौरान वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछते हैं कि अगर किसी युवा को नेता बनना है तो उसमे क्या टैलेंट है, जिसे परखा जा सकता है। इस पर पीएम मोदी कहते हैं कि राजनीति में लगातार अच्छे लोगों को आते रहना चाहिए। राजनीति में ऐसे लोग आने चाहिए, जो मिशन लेकर आए हैं, न की एंबिशन (महत्वकांक्षा) लेकर। पीएम मोदी ने आगे कहा कि जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब मैंने भी एक भाषण दिया था। तब मैंने कहा था कि गलतियां होती हैं। मुझसे भी होती हैं। मैं भी मनुष्य हूं, कोई भगवान थोड़े हूं।
निखिल कामथ दुनिया के मौजूदा हालात पर और खासकर युद्धों को लेकर सवाल करते हैं। पीएम मोदी इन सवालों का जवाब देते हुए कहते हैं कि हम लगातार कह रहे हैं कि हम न्यूट्रल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं लगातार कह रहा हूं कि मैं शांति के पक्ष में हूं।

‘पहले और दूसरे कार्यकाल में क्या अंतर था?’
निखिल पीएम मोदी से सवाल करते हैं कि उनके पहले और दूसरे कार्यकाल कैसे एक-दूसरे से अलग थे। इस पर पीएम मोदी कहते हैं कि पहले कार्यकाल में लोग मुझे समझने की कोशिश कर रहे थे और मैं भी दिल्ली को समझने की कोशिश कर रहा था।
अपना जिक्र करते हुए निखिल सवाल करते हैं कि अगर कोई दक्षिण भारत के मिडिल क्लास परिवार में पैदा हुआ हो और जिसे बचपन से ये बोला गया हो कि राजनीति एक गंदी जगह है। ये बात हमारे समाज में इतनी गहराई से बैठ गई कि हमारी सोसाइटी में कि इसे बदलना बहुत मुश्किल है। इसका जवाब देते हुए पीएम मोदी कहते हैं कि अगर जो आप कह रहे हैं वही होते तो आप आज यहां नहीं होते।
पीएम मोदी ने गुरुवार रात पॉडकास्ट का ट्रेलर एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि मुझे उम्मीद है कि आप सभी इसका उतना ही आनंद लेंगे, जितना हमें आपके लिए इसे बनाने में मजा आया।

2014 में अपने पहले कार्यकाल के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई बातचीत का एक दिलचस्प किस्सा सुनाया, जो गुजरात में उनके गांव का दौरा करना चाहते थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब मैं 2014 में प्रधानमंत्री बना, तो दुनिया भर के नेता शिष्टाचार भेंट करते हैं…चीनी राष्ट्रपति शी ने भी शिष्टाचार भेंट की, जिसमें उन्होंने कहा कि वह भारत आना चाहते हैं। मैंने कहा ‘आपका स्वागत है, आपको अवश्य आना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं गुजरात, आपके गांव वडनगर आना चाहता हूं…उन्होंने कहा ‘आप जानते हैं क्यों? मेरे और आपके बीच एक विशेष बंधन है’…उन्होंने कहा कि चीनी दार्शनिक ह्वेन त्सांग आपके गांव में सबसे लंबे समय तक रहे और जब वे चीन लौटे, तो वे मेरे गांव में रहे।”
‘मैं इंसान हूं, भगवान नहीं’
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए दिए गए अपने एक पुराने भाषण का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इंसान हैं, भगवान नहीं और उनसे भी गलतियां होती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं सीएम बना था, तो मैंने अपने एक भाषण में कहा था कि मैं अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। दूसरी बात, मैं अपने लिए कुछ नहीं करूंगा। तीसरी बात, मैं इंसान हूं, मुझसे गलतियां हो सकती हैं, लेकिन मैं गलत इरादे से गलतियां नहीं करूंगा। मैंने इन्हें अपने जीवन का मंत्र बना लिया। गलतियां होना स्वाभाविक है, आखिर मैं इंसान हूं, मैं भगवान नहीं हूं, लेकिन जानबूझकर गलतियां नहीं करूंगा।
कामथ ने पूछा कि क्या राजनीति की कठिन दुनिया में प्रवेश करने के लिए कुछ विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दो चीजें हैं: एक तो राजनेता बनना और दूसरा सफल राजनेता बनना। मेरा मानना है कि आपको समर्पित, प्रतिबद्ध होना चाहिए, अच्छे और बुरे समय में जनता के साथ रहना चाहिए और टीम के खिलाड़ी की तरह काम करना चाहिए।

महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही गांधी एक महान वक्ता नहीं थे, लेकिन वे एक कुशल संचारक थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक अच्छे राजनेता को एक अच्छा संचारक भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आप खुद को सबसे ऊपर मानते हैं और सोचते हैं कि हर कोई आपका अनुसरण करेगा, तो हो सकता है कि उसकी राजनीति काम कर जाए और वह चुनाव जीत जाए, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह एक सफल राजनेता होगा।
स्वतंत्रता सेनानियों और आज़ादी के बाद राजनीति में शामिल होने वाले मुट्ठी भर लोगों के बारे में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर आप देखें, तो शुरुआत में हमारे सभी दिग्गज नेता स्वतंत्रता आंदोलन से उभरे थे। उनकी सोचने की प्रक्रिया, उनकी परिपक्वता अलग है… उनके शब्द, उनका व्यवहार… सब कुछ समाज के प्रति अत्यधिक समर्पण को दर्शाता है। इसलिए, मेरा मानना है कि अच्छे लोगों को राजनीति में आते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई राजनीति में आना चाहता है तो उसे महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि मिशन लेकर आना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतंत्र में सोशल मीडिया को एक महत्वपूर्ण साधन बताया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया लोकतंत्र को शक्ति दे सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान और गगनयान मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि युवा और युवा छात्र अब सोशल मीडिया से जानकारी प्राप्त कर रहे हैं और उनमें रुचि विकसित हो रही है।
2002 के गोधरा कांड को याद करते हुए जिसमें 59 लोगों की जान चली गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब यह घटना घटी तब वह पहली बार विधायक बने थे। प्रधानमंत्री ने याद करते हुए कहा कि 24 फरवरी 2002 को मैं पहली बार विधायक बना और 27 फरवरी को मैं विधानसभा गया। जब गोधरा में ऐसी घटना हुई, तब मैं तीन दिन पुराना विधायक था। हमें सबसे पहले ट्रेन में आग लगने की खबरें मिलीं, फिर धीरे-धीरे हमें हताहतों की खबरें मिलने लगीं। मैं सदन में था और मैं चिंतित था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे ही मैं बाहर आया, मैंने कहा कि मैं गोधरा जाना चाहता हूं… वहां केवल एक ही हेलीकॉप्टर था… मुझे लगता है कि यह ONGC का था, लेकिन उन्होंने कहा कि चूंकि यह सिंगल इंजन है, इसलिए वे इसमें किसी वीआईपी को जाने की अनुमति नहीं दे सकते। हमारे बीच बहस हुई और मैंने कहा कि जो कुछ भी होगा, उसके लिए मैं जिम्मेदार रहूंगा। मैं गोधरा पहुंचा और मैंने वह दर्दनाक दृश्य, वे शव देखे… मैंने सब कुछ महसूस किया, लेकिन मुझे पता था कि मैं ऐसी स्थिति में बैठा हूं जहां मुझे अपनी भावनाओं और स्वाभाविक प्रवृत्ति से बाहर रहना होगा। मैंने खुद को नियंत्रित करने के लिए जो कुछ भी कर सकता था वो किया।
पीएम मोदी ने उस समय को भी याद किया जब अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि जब अमेरिकी सरकार ने मुझे वीजा देने से मना किया था, तब मैं विधायक था। एक व्यक्ति के तौर पर अमेरिका जाना कोई बड़ी बात नहीं थी, मैं पहले भी वहां गया था, लेकिन मुझे लगा कि एक चुनी हुई सरकार और देश का अपमान हो रहा है, और मेरे मन में दुविधा थी कि आखिर हो क्या रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने वीजा खारिज होने की बात सार्वजनिक करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि उस दिन मैंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें मैंने कहा कि अमेरिकी सरकार ने मेरा वीजा खारिज कर दिया है। मैंने यह भी कहा कि मैं एक ऐसा भारत देख रहा हूं, जहां दुनिया वीजा के लिए कतार में खड़ी होगी, यह मेरा 2005 का बयान है और आज हम 2025 में खड़े हैं। इसलिए, मैं देख सकता हूं कि अब समय भारत का है।
जब निखिल कामथ ने प्रधानमंत्री से दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे युद्धों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वह तटस्थ नहीं हैं और शांति के पक्षधर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया हम पर भरोसा करती है, क्योंकि हम में कोई दोगलापन नहीं है, हम जो भी कहते हैं, साफ-साफ कहते हैं। संकट के इस दौर में भी हमने बार-बार कहा है कि हम तटस्थ नहीं हैं। मैं शांति के पक्ष में हूं और इसके लिए जो भी प्रयास किए जाएंगे, मैं उनका समर्थन करूंगा। मैं यह बात रूस, यूक्रेन , ईरान, फिलिस्तीन और इजरायल से कहता हूं। उन्हें मुझ पर भरोसा है कि मैं जो कह रहा हूं, वह सही है।