अध्ययन : अंग्रेजी बोलने में भी नहीं किसी से कम नहीं हैं भारतीय! भारत का औसत दुनिया से कहीं ज्यादा

नई दिल्ली। जब बात अंग्रेजी बोलने की आती है तो भारतीय इसमें शानदार हैं। पियरसन की ग्लोबल इंग्लिश प्रोफिसिएंसी रिपोर्ट की मानें तो अंग्रेजी बोलने में भारत वैश्विक औसत से ऊपर है। भारत में दिल्लीवाले अंग्रेजी बोलने में अव्वल हैं और इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है।

भारत, फिलीपींस, जापान, मिस्त्र, कंबोडिया और यूरोप में अंग्रेजी की प्रवीणता के चलन से जुड़ी विस्तृत और गहन जानकारी पेश करती यह रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई। यह रिपोर्ट दुनिया भर में करीब 7.50 लाख वर्सैंट टेस्ट के नतीजों पर आधारित है।

अंग्रेजी भाषा की परख करने वाला पियरसन का वर्सैंट टेस्ट किसी व्यक्ति की अंग्रेजी भाषा पर पकड़ को सटीक और सक्षम ढंग से जांचने का टूल है और इससे कंपनियों को उनकी जरूरत के आधार पर सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार के चयन में आसानी होती है। रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में भारत ने अंग्रेजी के कौशल में महत्वपूर्ण विकास हासिल किया है, जिसका जारी रहने का अनुमान है।

अंग्रेजी बोलने में दुनिया का औसत 54 है और भारत का राष्ट्रीय औसत 57 है, जो इसे इंग्लिश स्पीकिंग में औसत विश्व से ऊपर ले जाता है। दिल्ली अंग्रेजी बोलने के मामले में 63 के साथ देश में सबसे आगे है और फिर 60 अंकों के साथ राजस्थान दूसरे और 58 अंकों के साथ पंजाब तीसरे स्थान पर आता है।

भारत का फाइनेंस और बैंकिंग सेक्टर 63 अंकों के साथ अंग्रेजी बोलने में सबसे शानदार है और यह वैश्विक औसत (56) से काफी ज्यादा है। वहीं, 45 के सबसे कम स्कोर के साथ हेल्थकेयर सेक्टर अंग्रेजी बोलने में देश में पीछे हैं। टेक्नोलाजी, कंसल्टिंग और बीपीओ जैसे अन्य सेक्टरों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जो वैश्विक औसत से ज्यादा या नजदीक है।

वहीं, अंग्रेजी लेखन की बात करें तो भारत 61 के स्कोर के साथ वैश्विक औसत (61) के बराबर है। हालांकि, अंग्रेजी के कौशल का वैश्विक औसत 57 है, जिसमें भारत 52 के साथ पीछे है।

पियरसन इंग्लिश लैंग्वेज लर्निंग डिविजन के अध्यक्ष जियोवानी जियोवैन्नेल्ली कहते हैं, ‘मौजूदा वैश्विक अर्थव्यवस्था में, अंग्रेजी में निपुणता केवल एक कौशल नहीं बल्कि रणनीतिक ताकत है। यह रिपोर्ट कंपनियों के प्रमुखों को आंकड़ों पर आधारित गहन जानकारी देती है, जिससे वे चयन प्रक्रिया के साथ अपने कर्मचारियों के विकास को लेकर सजग फैसले ले सकें। इन जानकारियों को अपनी टैलेंट स्ट्रैटजी से जोड़कर कंपनियां प्रतिस्पर्धा में बढ़त बनाने के साथ तरक्की पा सकती हैं।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!